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” एक ख़्वाहिश “

मेरे ख़्याल
मेरे ख़्याल
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लवों पे गूँजता इक फ़साना हो

ऐ दिल तू किसी का दिवाना हो

कोई बैठकर मेरा भी इंतजार करे

और मेरे ज़हन में झूठा बहाना हो

हो कुबर्ते कुछ प्यार कुछ तकरार भी

ऐ ज़िन्दगी अपना भी इक फ़साना हो

बेरंग तन्हा सी गुजरे है ज़िन्दगी अब

है आरज़ू मुझे कुछ हसना हसाना हो

हूँ आशिक़ फिर मजनू फिर रिन्दा बनू

ज़हन मे तेरा ख्याल हाथ में पैमाना हो

पहले फूलों से फिर काटों से प्यार हो

दिन भर चमन रात में मयख़ाना हो

बहकर शराब में बरबरबाद हो जाऊ मैं

शमशान ही आखिर मेरा ठिकाना हो

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